एचडीएफसी एर्गो ने भारत सरकार के तत्वावधान में "आज़ादी का अमृत महोत्सव - इंडिया @ 75" के रूप में मनाए जा रहे भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर एक सप्ताह (क्रमशः खरीफ और रबी दोनों ऋतुओं के लिए) तक चले उत्सव "क्रॉप इंश्योरेंस वीक" में भाग लिया, जिसका उद्देश्य इन वर्षों के दौरान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न पहलों के द्वारा भारतीय किसानों द्वारा की गई प्रगति और हमारे किसानों को सुरक्षा प्रदान करने में PMFBY की सफलता का उत्सव मनाना है. समारोह के एक हिस्से के रूप में, हमने PMFBY/ RWBCIS के तहत अधिसूचित 10 आकांक्षी जिलों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां PMFBY स्कीम में किसानों की अपर्याप्त या कम भागीदारी है. इन आकांक्षी जिलों में PMFBY/RWBCIS स्कीम के बारे में अच्छी जागरूकता लाने के लिए, एचडीएफसी एर्गो की पहल "किसान पाठशाला" के तहत इस स्कीम के लाभों के बारे में किसानों को बताने के लिए व्यापक मार्केटिंग गतिविधियों की योजना बनाई गई . हमारी टीम के सदस्यों ने सक्रिय रूप से आकर्षक और जानकारीपूर्ण पैम्प्लेट व ब्रोशर वितरित किए, डेस्कटॉप से सुसज्जित अपनी तरह की पहली "डिजिटल बस" का उपयोग करके अवेयरनेस वर्कशॉप व ट्रेनिंग का आयोजन किया.. एचडीएफसी एर्गो छोटे पौधों को वितरित करके किसानों के साथ प्रभावी तरीके से जुड़ने में सफल रहा और इस प्रकार हमने पर्यावरण के प्रति अपना योगदान भी दिया. इनोवेटिव डिजिटल क्रिएटिव कंटेंट, ऑडियो विजुअल, जानकारीपूर्ण पोस्ट और समर्पित हैशटैग के माध्यम से आमजन तक पहुंचने के लिए पूरे हफ्ते इस समारोह में सोशल मीडिया कैम्पेन का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा, हमारे किसानों के निरंतर प्रयासों का अभिनंदन करने के लिए, एचडीएफसी एर्गो ने क्रॉप इंश्योरेंस वीक के दौरान "PIHU" (पिहू) का अनावरण किया, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के साथ आने वाली इंडस्ट्री की पहली व्हॉट्सऐप चैट बॉट है और क्षेत्रीय भाषाओं में इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विसेज़ प्रदान करती है, जिसकी मदद से PMFBY स्कीम, किसानों के एप्लीकेशन स्टेटस, क्लेम की सूचना, क्लेम स्टेटस आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
i. यह स्कीम राज्य सरकार द्वारा बताए गए सभी किसानों को उनकी फसलों के लिए इंश्योरेंस कवरेज प्रदान करती है
बंटाईदार और किरायेदार किसानों सहित सभी अधिसूचित क्षेत्रों में फसल उगाने वाले किसान कवरेज के लिए पात्र हैं.
अधिसूचित फसल के लिए फाइनेंशियल संस्थानों (यानी कर्जदार किसान) से मौसमी कृषि संचालन (SAO) लोन लेने वाले सभी किसानों को अनिवार्य रूप से कवर किया जाएगा.
सभी कर्जदार किसानों के पास स्कीम के प्रावधानों के अनुसार इंश्योरेंस कवरेज होना अनिवार्य है.
b. स्वैच्छिक घटक
PMFBY के तहत इंश्योरेंस का लाभ उठाने के लिए गैर-कर्जदार और इच्छुक किसानों के लिए यह स्कीम वैकल्पिक है, इसके अंर्तगत किसी भी अधिसूचित क्षेत्र में कोई भी अधिसूचित इंश्योरेंस कंपनी कट-ऑफ तिथि के अंदर अपने नज़दीकी बैंक ब्रांच/PACS/अधिकृत चैनल पार्टनर/इंश्योरेंस इंटरमीडियरी से संपर्क करके, प्रपोजल फॉर्म को विधिवत रूप से पूरा भरकर, फॉर्म जमा करें और बैंक ब्रांच/इंश्योरेंस इंटरमीडियरी/CSC केंद्र पर अपेक्षित प्रीमियम के साथ-साथ बीमा के लिए प्रस्तावित खेती की भूमि/फसल (यानी स्वामित्व/किरायेदारी/खेती के अधिकार) से संबंधित आवश्यक डॉक्यूमेंट साक्ष्य के रूप में डिपॉजिट करें.
II. कवर की गई फसलें
सभी फसलों को स्कीम के तहत शामिल किया गया है जैसे कि खाद्य और तिलहन की फसलें और वार्षिक कैशी/बागवानी की फसलें, इनसे संबंधित पिछले उपज डेटा भी उपलब्ध हैं.
बारहमासी फसलों के अलावा, उन बारहमासी बागवानी फसलों के लिए कवरेज लिया जा सकता है जिनकी उपज का अनुमान, मानक पद्धति से लगाया जा सकता है.
III. Coverage of Risks and Exclusions under the scheme
संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकार के फसल बीमा पर राज्य स्तरीय समन्वय समितियों में लिए गए निर्णय के अनुसार फसल और निर्धारित क्षेत्र के आधार पर यह स्कीम चुने गए क्षेत्र में "क्षेत्र दृष्टिकोण" के सिद्धांत पर काम करती है, जिसे इंश्योरेंस यूनिट (IU) कहा जाता है. ये इकाइयां प्रमुख फसलों के लिए गांव/ग्राम पंचायत या किसी अन्य समकक्ष इकाई के लिए लागू इंश्योरेंस यूनिट के रूप में अधिसूचित की जाती हैं. अन्य सभी फसलों के लिए यह गांव/ग्राम पंचायत के स्तर से ऊपर की कोई इकाई हो सकती है.
फसल बुवाई के यह चरण और उसे हानि पहुंचाने के जोखिमों को इस स्कीम के तहत शामिल किया गया है.
a. Prevented Sowing/ Planting Risk: अगर किसी अधिसूचित क्षेत्र की अधिकांश इंश्योर्ड फसलों की प्रतिकूल मौसम की स्थिति जैसे कि कम या अधिक वर्षा के कारण बुवाई/रोपाई नहीं होती है, तो सम इंश्योर्ड के अधिकतम 25% का क्लेम किया जा सकता है.
b. Standing Crop (Sowing to Harvesting): नॉन-प्रिवेंटेबल (गैर-रोकथाम) जोखिम के कारण संपत्ति (फसल) के नुकसान को कवर करने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव रिस्क इंश्योरेंस प्रदान किया जाता है, जैसे. सूखा, अकाल, बाढ़, पानी भरना, कीट और बीमारी, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, आंधी, ओलावृष्टि, चक्रवात, तूफान और बवंडर.
c. Post-Harvest Losses: coverage is available only up to a maximumperiod of two weeks from harvesting for those crops which are allowed to dry in cut and spread condition in the field after harvesting against specific perils of hailstorm, cyclone and cyclonic rains and unseasonal rains.For the claims arising out of crop damage due to post-harvest losses and localized risks, arising out of cyclone or cyclonic rains / unseasonal rains throughout the country, resulting in damage to harvested crop lying in the field in ‘cut and spread’ condition for sole purpose of drying only , upto a maximum period of two weeks (14days) from harvesting is also covered and the assessment of damage will be made on individual farm basis.
d. Localized Calamities: LLoss/ damage resulting from occurrence ofidentified localized risks of hailstorm, landslide, Inundation, cloud burst and natural fire due to lightening affecting isolated farms in the notified area.
ध्यान दें: युद्ध और परमाणु जोखिम से उत्पन्न होने वाले हानि, विविध नुकसान और वे अन्य जोखिम जिनकी रोकथाम की जा सकती है, उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा.
IV. विभिन्न फसलों के लिए क्षतिपूर्ति स्तर लागू
Coverage is provided upto different indemnity levels of 70%, 80% and 90% corresponding to high, moderate and low risk level, respectively, of the areas basis the type of crops and is notified for crops and areas as per notified unit applicable.
V. प्रीमियम
किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला अधिकतम प्रीमियम सभी खरीफ खाद्य और तिलहन फसलों के लिए 2%, रबी खाद्य और तिलहन फसलों के लिए 1.5% और वार्षिक कैशी/बागवानी फसलों के लिए 5% या बीमांकिक प्रीमियम दर होगा, दोनों में से जो भी कम हो. किसानों द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम और बीमा शुल्क की दर के बीच का अंतर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समान रूप से साझा किया जाएगा.
VI. क्लेम सेटलमेंट का आधार
क्लेम का भुगतान क्षेत्र के आधार पर किया जाएगा, जो इस पर निर्भर करता है:
आवश्यक सूचना:
यह स्कीम चुने गए परिभाषित क्षेत्रों में "एरिया एप्रोच" के सिद्धांत पर कार्य करती है. इन क्षेत्रों को इंश्योरेंस यूनिट (IU) कहा जाता है. बेसिक फसलों और परिभाषित क्षेत्रों का निर्धारण संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा फसल इंश्योरेंस पर लिए गए निर्णय के अनुसार होता है . ये यूनिट्स प्रमुख फसलों के लिए गांव/ग्राम, पंचायत या किसी अन्य समकक्ष यूनिट के लिए लागू इंश्योरेंस यूनिट के रूप में अधिसूचित की जाती हैं. अन्य सभी फसलों के लिए यह गांव/ग्राम पंचायत के स्तर से ऊपर के आकार की कोई यूनिट हो सकती है.
मुख्य क्लेम का भुगतान क्षेत्र के आधार पर किया जाएगा, जो निम्न के अधीन है: