Posted on: Jun 17, 2019 | | Written by:

बीमा पर जीएसटी का प्रभाव

हम सबने जीएसटी अथार्थ गुड्स एंड सर्विस टेक्स के बारे में तो सुना ही है। इसको और अधिक अच्छी तरह से समझने के लिए थोड़ा इसके बारे में बताना ज़रूरी है। जीएसटी की घोषणा पहली बार सरकार ने, देश में अप्रत्यक्ष करों को सरल बनाने के उद्देशय से वर्ष 2006 में संसद में की थी। यह एक प्रकार से मूल्य-आधारित टैक्स है जो वस्तुओं एवं सेवाओं पर मध्यवर्ती करों के रूप में लगकर उनकी कीमतों को अनावश्यक रूप से बढ़ा देता था। यह टैक्स एकल व समरूपी टैक्स ढांचे के रूप में भारत के 17 प्रांत और राज्यों में लागू किया जाएगा।

जीएसटी कैसे काम करता है?

जीएसटी का नया प्रारूप वर्ष 2017 से लागू माना जाएगा। एक बार इसके भली प्रकार से लागू हो जाने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाले सभी केन्द्रीय और राज्य स्तर के करों जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, विलासिता टैक्स, मनोरजन टैक्स आदि को दो भागों, राज्य जीएसटी और केन्द्रीय जीएसटी को एक ही टैक्स में बदल दिया जाएगा। इन दोनों को जीएसटी दर के अनुसार एक समान दर में विभाजित किया जाएगा। जीएसटी की अनुमानित दर 18% होने की संभावना प्रकट की जा रही है। वर्तमान समय में गैर जीएसटी नियम के अनुसार, वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर 27% से 32% के बीच होता है जबकि यह सेवाओं पर 15% होता है।

यह वस्तुओं व सेवाओं को कैसे प्रभावित करता है?

एक बार जीएसटी के लागू हो जाने के बाद, वस्तुओं की लागतों में तो कमी आ ही जाएगी लेकिन सेवाओं की लागतों में वृद्धि हो जाएगी। फिर भी ग्राहक के ऊपर पड़ने वाले करों के भार में महत्वपूर्ण कमी आ जाएगी। छोटी कारें, दो पहिया स्कूटर, पिक्चर के टिकट, ग्रोसरी और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स चीजें उपभोक्ताओं के लिए पहले के मुक़ाबले सस्ती हो जाएंगी जबकि मोबाइल फोन, हवाई जहाज के टिकट, और बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। जीएसटी में कुछ अपवादस्वरूप शराब, बिजली, तंबाकू और पेट्रोलियम प्रोडक्ट हैं जिनकी कीमतों में कमी नहीं आएगी।

बीमा क्षेत्र पर प्रभाव

जब जीएसटी का प्रभाव अर्थव्यवस्था में सब ओर देखा जा सकता है, तब बीमा क्षेत्र में इसका क्या प्रभाव हो सकता है, आइये देखते हैं:

वर्तमान समय में सर्विस टैक्स की दर 15% है जिसमें शामिल है:

  • आधारभूत सर्विस टैक्स: 14%

  • स्वच्छ भारत टैक्स: 5-14%

  • कृषि कल्याण टैक्स: 50%

जीएसटी के लागू होने से अब सर्विस टैक्स भी जीएसटी का हिस्सा बन जाएगा। इससे बीमा योजनाओं की प्रीमियम दर पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह सर्विस टैक्स दर से भी प्रभावित होती रही हैं। इसलिए जीवन एवं सामान्य बीमा पॉलिसी पर भी 18% जीएसटी टैक्स के रूप में लगाया जाएगा।

अगर बीमा क्षेत्र की बात करें तब एक व्यक्ति के स्वास्थय की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य बीमा का बहुत महत्व माना जाता है। यह किसी मेडिकल एमर्जेंसी में सुरक्षा देने के अलावा बीमा धारक को एक प्रकार की मानसिक शांति भी प्रदान करती हैं। स्वास्थ्य संबंधी चीजों की निरंतर बढ़ती कीमतों के कारण लगातार स्वास्थ्य बीमा की बढ़ती मांग इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण माना जा सकता है। वैसे भी आजकल, व्यक्ति के लिए किसी भी अन्य धन व संपत्ति के मुक़ाबले स्वास्थ्य को अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए, अधिकतम बीमा कंपनियाँ व्यक्ति की विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ ला रही हैं। स्वास्थ्य बीमा की अपरिहार्य मांग को निश्चय ही कभी खत्म न होने वाली मांग है। वर्तमान समय में, स्वस्थ्य बीमा योजना की प्रीमियम में 15% का सर्विस टैक्स लगाया जाता है। जीएसटी के लागू होने पर प्रीमियम पर लगने वाला टैक्स बढ़कर 18% हो जाएगा जिससे स्वास्थ्य बीमा योजना की कुल लागत में भी वृद्धि हो जाएगी।

दूसरा प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण बीमा वाहन बीमा है जो भारतीय वाहन अधिनियम के अंतर्गत वैधानिक रूप से हर वाहन जैसे बाइक, कार या और कोई भी वाहन हो, जरूरी होता है। व्यक्ति के परिवहन संबंधी जरूरतें अंतहीन होती हैं और इसलिए एक सही वाहन बीमा के होने से न केवल बीमा धारक को बल्कि तृतीय पक्ष को भी सुरक्षा मिल जाती है। इसके अतिरिक्त, बीमा धारक को वाहन बीमा में बीमा कंपनी की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण लाभ माना जाता है। इससे कोई अंतर नहीं होता कि आप कार बीमा खरीद रहे हैं या बाइक के लिए, इसपर लगने वाला सर्विस टैक्स स्वास्थ्य बीमा की ही भांति समान अर्थात 15% होगा। जीएसटी के लागू हो जाने पर यह टैक्स भी बढ़कर 18% हो जाएगा। इसका सीधा प्रभाव बीमा की लागत पर दिखाई देगा।

चाहे वह स्वास्थ्य बीमा हो या वाहन बीमा हो, दोनों ही योजनाएँ बीमा धारक पर नवीनीकरण के समय अवधि के कारण बार-बार प्रभावित डालती हैं। अधिकतम बीमा धारक अपनी पॉलिसी को एक या दो वर्ष के बाद नवीनीकृत करवाते हैं। जीएसटी के प्रभाव के कारण बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण करवाने पर बीमा धारक को बढ़े हुए प्रीमियम का भुगतान करना होगा। लेकिन वो बीमा धारक जो लंबे समय वाली बीमा योजनाएँ रखते हैं वो जीएसटी के प्रभाव से अप्रभावित रहेंगे। जैसे यदि कोई बीमा धारक अपने दोपहिया स्कूटर के लिए तीन वर्ष की बीमा योजना लेता है और वह पॉलिसी अगर इस वर्ष में समाप्त नहीं हो रही है तब उसे अतिरिक्त टैक्स के कारण बढ़ा हुआ मूल्य नहीं देना होगा। इसलिए वर्तमान लागू हुआ जीएसटी का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

जीएसटी बीमा धारकों के लिए किस प्रकार लाभदायक हैं?

हालांकि जीएसटी के कारण पॉलिसी,चाहे वह सामान्य हो या जीवन बीमा हो, उसकी कीमत में वृद्धि हो सकती है, इसके साथ ही यह बीमा कंपनियों में प्रतियोगिता को भी बढ़ावा देती है। ख़रीदारों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बीमा कंपनियाँ हो सकता है कि अपनी योजनाओं की कीमतें नीचे करने के लिए पॉलिसी संबंधी खर्चे और दूसरे संबन्धित खर्चों में कटौती कर दें। लेकिन इसके साथ ही उन्हें ख़रीदारों को अपनी ओर बनाए रखने के लिए अपनी सेवाओं में जैसे बीमा योजना की खरीद और दावों में निपाटान में सुधार करना होगा। इसलिए यह हर प्रकार से उन ख़रीदारों के लिए अच्छी खबर है, जो एक बीमा पॉलिसी खरीदते समय केवल उसके मूल्य को ही ध्यान में रखकर अन्य संबन्धित तथ्यों को बिलकुल अनदेखा कर देते हैं। इस संबंध में बीमा धारकों को यह सम्झना जरूरी है कि किसी भी बीमा पॉलिसी को खरीदते समय केवल उसका मूल्य ही देखा जाना जरूरी नहीं होता है। किसी भी बीमा पॉलिसी चाहे वह स्वास्थ्य बीमा हो या वाहन बीमा हो में देखने वाली बात वह सुरक्षा या वह सेवाएँ, जो पॉलिसी अवधि अथवा दावों के निपटान के रूप में होती है जो आपको या आपके प्रिय जन को किसी अप्रत्याशित घटना के घट जाने पर उस पॉलिसी से आपको मिलती है

इसलिए जीएसटी के साथ बीमा कंपनियाँ अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओ की गुणवत्ता में सुधार करके अपने ग्राहकों को बीमा ग्राहक के रूप में अच्छे अनुभव करवाने में सफल हो सकती हैं।

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